रायपुर। पिकनिक का जिक्र होते या सुनते ही बच्चों से लेकर बड़ों तक के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। चेहरे पर नई ऊर्जा और उमंग आ जाता है। घर मे...
रायपुर। पिकनिक का जिक्र होते या सुनते ही बच्चों से लेकर बड़ों तक के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। चेहरे पर नई ऊर्जा और उमंग आ जाता है। घर में पूरा माहौल खुशनुमा हो जाता है और सभी इसकी तैयारी में जुट जाते हैं। यह मस्ती और मनोरंजन का एक ऐसा साधन है, जो हर किसी को उत्साहित कर देता है। पिकनिक मनाने का प्रचलन काफी पुराना है।दुनियाभर में हर साल 18 जून को अंतरराष्ट्रीय पिकनिक डे के तौर पर मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन को मनाने की शुरुआत फ्रांसीसी क्रांति के दौरान हुई थी। उस दौर में बाहर एक प्रकार का अनौपचारिक भोजन किया जाता था। लेकिन आज के समय में पिकनिक एक फैशन बन चुका है। रविवार 18 जून को अंतरराष्ट्रीय पिकनिक दिवस मनाया जाएगा, तो क्यों ना हम भी अपने परिवार के साथ किसी पिकनिक स्पाट पर घूमने के लिए जाएं। भीषण गर्मी में राजधानी के बाहर नहीं जाना चाहते हैं तो शहर व इसके आसपास भी कई ऐसे स्थान हैं, जहां फैमिली और फ्रेंड्स के साथ पिकनिक मनाने के लिए जा सकते हैं।
नंदनवन पक्षी विहार
यह रायपुर का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला एक पिकनिक स्पाट है। यहां का चिड़ियाघर लोगों को काफी आकर्षित करती है। शहर से 16 किमी दूर स्थित यह उद्यान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। नवा रायपुर में जंगल सफारी निर्माण होने के बाद वन्यप्राणियों को शिफ्ट कर पक्षी विहार में तब्दील कर विदेशी पक्षियों को रखा गया है। वर्ष-2017 से नंदनवन में लाए गए पक्षियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पहले 221 पक्षी थे, जिनकी संख्या 543 हो गई है।
लक्ष्मण झूला और गार्डन
महादेव घाट के खारुन नदी पर बना यह प्रदेश का पहला सस्पेंशन ब्रिज है। ब्रिज पर झूले में चलने का अहसास होता है। लक्ष्मण झूला रायपुर के साथ-साथ दुर्ग जिले के लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इसका प्रमुख कारण है की खारून नदी के उस पार दुर्ग जिला शुरू हो होता है। ब्रिज के साथ ही नदी के किनारे गार्डन का निर्माण भी किया गया है। पुल से उतरकर लोग सीधे गार्डन में प्रवेश कर सकते है। गार्डन में ढाई सौ प्रजाति के पौधे लगे हैं। खारून नदी में बाेटिंग का भी मजा ले सकते हैं।
ऊर्जा पार्क
सौर ऊर्जा पार्क शहर से करीब आठ किमी दूर स्थित है। छत्तीसगढ़ का नवीनीकरण विकास अभिकरण द्वारा पार्क की स्थापना का उद्देश्य लोगों में ऊर्जा बचाने के लिए जागरूकता पैदा करना है। यह एक थीम आधारित पार्क है, जहां बच्चे कुछ सीख सकते हैं। यहां चारों ओर सुंदर हरियाली के बीच संगीतमय फव्वारे, विज्ञान की पहेलियां और नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। बच्चों के लिए सौर नौका और सौर खिलौने हैं। भोजन प्रेमियों के लिए पार्क के अंदर कुछ स्टाल भी बनाए गए हैं। सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक पार्क खुला रहता है।
पुरखौती मुक्तांगन
पुरखौती मुक्तांगन संग्रहालय खूबसूरत और शैक्षिक पर्यटन स्थल है। शहर से करीब 20 किमी दूर ग्राम उपरवारा में स्थित पुरखौती मुक्तांगन प्रदेश में निवास करने वाली जनजातियों की समृद्ध संस्कृति और विरासत को बेहतर ढंग से समझने और जानने के लिए एक बेहतर स्थान है। 200 एकड़ क्षेत्र में फैले जीवंत संग्राहलय में छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति, कलात्मक, प्राकृतिक संरचना, पर्यटन स्थल के माडल हैं, जिन्हें बेहतरीन ढंग से प्रदर्शित गया है। यहां पर भोरमदेव मंदिर, दंतेश्वरी मंदिर, बस्तर का चित्रकोट जलप्रपात, ढोलकल मंदिर समेत कई अन्य माडल हैं। यह संग्राहलय हर सोमवार को बंद रहता हैं।
जंगल सफारी
जंगल सफारी सेक्टर -39 नया रायपुर में स्थित है। यह रेलवे स्टेशन से करीब 35 किमी और स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा से 15 किमी दूर है। यह 800 एकड़ में फैला हुआ है। यह एशिया का एक मात्र मानव निर्मित जंगल सफारी है। यहां रायल बंगाल टाइगर, व्हाइट टाइगर, एशियन लायन, नीलगाय, घड़ियाल, काला हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, चौसिंघा, भालू और अन्य वन्य जीवों को आसानी से देखा जा सकता है। 130 एकड़ का ‘खांडवा जलाशय’ नामक जल निकाय है, जो प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है। यहां 350 से अधिक जानवर हैं।
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