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पिछले छह वर्षों में कैंसर जांच की पेट स्कैन (पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी) मशीन के संचालन के लिए अनुमति नहीं मिल पाई

  रायपुर। डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में तीन अधीक्षक बदल गए, लेकिन पिछले छह वर्षों में कैंसर जांच की पेट स्कैन (पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी) ...

 

रायपुर। डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में तीन अधीक्षक बदल गए, लेकिन पिछले छह वर्षों में कैंसर जांच की पेट स्कैन (पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी) मशीन के संचालन के लिए अनुमति नहीं मिल पाई। इसे लेकर मेडिकल कालेज के डीन ने तक रूचि नहीं दिखाई। स्थिति यह है कि गरीब 18 करोड़ रुपये की लागत से खरीदी गई पेट स्कैन अस्पताल में पड़ी धूल खा रही है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है वर्ष-2017 में पेट स्कैन मशीन खरीदी गई। खरीदी की प्रशासकीय स्वीकृति नहीं ली गई थी। खरीदने के बाद इसके संचालन का जिम्मा निजी एजेंसी को दिया जा रहा था, जिसकी शर्तों में भी खामियां सामने आईं थी। ऐसे में मामला विवादित हो गया। और मामला शासन के पास चल गया। अनुमति नहीं मिलने की वजह से वर्ष-2018 में पेट स्कैंन संचालन के लिए निजी एंजेंसी से किया गया तीन वर्षाें का अनुबंध भी समाप्त हो गया। मशीन के संचालन को लेकर लगातार शासन को पत्र लिखा गया, लेकिन अब तक अनुमति ना मिलने से कैंसर रोगियों को जांच की सुविधा नहीं मिल पाई है। बता दें अस्पताल के कैंसर रोग विभाग में हर दिन 200 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इसमें से 10 से अधिक मरीजों को हर रोज पेट स्कैन मशीन के जांच की जरूरत होती है। दरअसल यह रोगियों में मशीन कैंसर को बेहतर तरीके से पहचाकर रिपोर्ट देती है। निजी अस्पतालों में एक जांच के लिए 21 हजार रुपये तक वसूले जाते हैं। जबकि शासकी योजना में यह सुविधा मरीजों को निश्शुल्क या कम कीमत पर उपलब्ध हो सकती है। आंबेडकर अस्पताल अधीक्षक डा. एसबीएस नेताम ने कहा, पेट स्कैन मशीन के संचालन के लिए सीमएम हाउस तक फाइल जा चुकी है। शासन से अनुमति मिले बिना यह मशीन का संचालन शुरू नहीं किया जा सकता है। अनुमति मिलने के बाद मरीजों को इसका लाभ मिल सकेगा।

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