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Wednesday, July 16

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रीपा से जुड़कर घरेलू महिला से महिला उद्यमी बनने का सफर

 

लक्ष्मी स्व सहायता समूह की महिलाएं चैन फेंसिंग बनाकर हो रहे हैं आत्मनिर्भर

महासमुंद । छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। महिलाएं अब खुद हुनरमंद होकर छोटे-छोटे रोजगार के जरिये स्वाबलंबी बनने की ओर अग्रसर होने लगी हैं। ज़िले के बाग़बाहरा ब्लॉक के ग्राम भुथिया में ऐसा ही एक समूह लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह की दीदियां चैनलिंग फेंसिंग का कार्य कर अपनी स्वांवलंबन की राह पर है। महिला स्व सहायता समूह में दस महिलाएं हैं। यहाँ की गौठान में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) के तहत चैनलिंग फेंसिंग कार्य से समूह के महिलाओं की क़िस्मत बदल रही है। आज गांव में रीपा स्थापित होने से गांव के महिलाओं को स्थायी रोजगार का अवसर मिला। समूह की महिलाओं में प्रशिक्षण लेने के बाद मनोबल बढ़ा। जिससे महिलाएं विश्वास और हौसले के साथ स्वरोजगार कर जीविकोपार्जन करने की राह पर चल पड़ी और अभी तक लगभग 33 क्विंटल चैनलिग फेंसिंग का निर्माण कर चुकी है। जिसमें से 2 लाख 50 हजार रुपए की चैनलिग फेंसिंग का विक्रय कर प्रति सदस्य 6-7 हजार रुपए की आमदनी कर चुकी हैं। समूह की महिलाएं बताती है कि रीपा से जुड़ने से पहले वे कृषि, मजदूरी का कार्य करती थी। स्थायी रोजगार की तलाश के लिए इधर-उधर जीविकोपार्जन हेतु जाना पड़ता था। रीपा के तहत चैनलिंग फेंसिंग के व्यवसाय से जुड़कर गांव में ही हमें सुविधाओं के साथ-साथ अच्छी आर्थिक लाभ मिल रही है। अब हम गांव में ही रहकर एक उद्यमी बनने की ओर अग्रसर है। जब हमारे द्वारा निर्मित चैन फेंसिंग की मांग आती है, तो हमें गर्व की अनुभूति होती है। एक सामान्य घरेलू महिला से उद्यमी महिला के रूप में पहचान दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन का धन्यवाद ज्ञापित करते है।

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