रायपुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद विधानसभा उप चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। नगरीय निकाय चुनाव के दौरान उप चुनाव क...
रायपुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद विधानसभा उप चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। नगरीय निकाय चुनाव के दौरान उप चुनाव की संभावना है। प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में नगरीय निकाय चुनाव होंगे। प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में चार विधायक चुनाव मैदान में उतरे थे। लोकसभा के चुनावी रण में रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पाटन से कांग्रेस विधायक व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, भिलाई के विधायक देवेंद्र सिंह यादव और कोंटा से कांग्रेस विधायक कवासी लखमा उतरे थे। लोकसभा के चुनावी रण में रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पाटन से कांग्रेस विधायक व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, भिलाई के विधायक देवेंद्र सिंह यादव और कोंटा से कांग्रेस विधायक कवासी लखमा उतरे थे। जानकारों के अनुसार, दो सदनों में चुने जाने पर किसी एक को चुनने के लिए समय मिलता है। ऐसा नहीं है कि दूसरे सदन की जीत का प्रमाणपत्र मिलते ही किसी एक सदन से इस्तीफा दिया जाए। विधायिका के नियमों के अनुसार, किसी एक सदन का सदस्य दूसरे के लिए चुना जाता है तो उसे किस सदन में सदस्य बने रहना है, इसके लिए 14 दिनों का समय होता है। इन अवधि में सदस्य कभी भी इस्तीफा दे सकता है। सदस्य पर निर्भर करता है कि वह किस सदन में बने रहना चाहता है। बृजमोहन अग्रवाल प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं। वे लगातार आठवीं बार विधायक बने हैं। वर्तमान में विष्णुदेव साय सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री हैं। जनप्रतिनिधि अधिनियम में उप चुनाव छह माह के अंदर कराने का प्रविधान है, लेकिन इस प्रविधान में दो परंतु लगते हैं, जिनके कारण इन्हें टाला भी जा सकता है। यदि खाली हुई सीट की बकाया समयावधि एक वर्ष से कम और केंद्र सरकार की मंत्रणा से चुनाव आयोग यह सत्यापित करता है कि इस अवधि में चुनाव कराना मुश्किल है तो उप चुनाव टाले जा सकते हैं। उप चुनाव के लिए अधिसूचना जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 के सेक्शन-150 के अंतर्गत जारी होती है।
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