रायपुर। रायपुर समेत छत्तीसगढ़ की जेलों में राशन आपूर्ति के नाम पर करोड़ों का खेल हुआ है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से लेकर सभी...
रायपुर। रायपुर समेत छत्तीसगढ़ की जेलों में राशन आपूर्ति के नाम पर
करोड़ों का खेल हुआ है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से लेकर सभी
विभागीय अधिकारियों तक पहुंची है। दरअसल वर्षों से जेलों में राशन की
आपूर्ति कर रहे खाद्य व्यापारियों ने शिकायत पत्र देकर आरोप लगाया है कि
लोकसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान जेल विभाग ने खाद्य पदार्थों की खरीदारी
के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) से टेंडर
जारी कर दिया।
उत्तरप्रदेश की एक कंपनी को आपूर्ति का ठेका दिया
गया। इसमें जेल मैनुअल व शर्तों का पालन नहीं किया गया। एजेंसी भी बिना
सब्सिडी के ज्यादा कीमत में केवल चावल की आपूर्ति कर सरकार को करोड़ों रुपए
का नुकसान पहुंचाया है, क्योंकि केंद्र सरकार अनाज पर सब्सिडी दे रही है।
सब्सिडी में चावल 2900 रुपए प्रति क्विंटल में मिल रहा है।
बावजूद
इसे 1450 रुपए ज्यादा कीमत देकर जेल विभाग ने 4350 रुपए में प्रति क्विंटल
में खरीदा। इसी तरह से 6000 रुपए प्रति क्विंटल मिलने वाले चना दाल को 8300
रुपए में खरीदा गया। चौंकाने वाली बात यह है कि आचार संहिता के दौरान
टेंडर और खरीदी-बिक्री पर पूरी तरह से रोक रहती है। इसके बाद भी टेंडर
निकालकर ठेका दिया गया है। व्यापारियों की शिकायत की जांच कराई जा रही है।
शिकायत
कर्ता व्यापारियों के मुताबिक केंद्र सरकार चावल ही नहीं चना दाल, मूंगदाल
और आटा में भी सब्सिडी दे रही है। चावल सब्सिडी में 2900, चना दाल 6000,
मूंगदाल 10700 और आटा 2750 रुपए में मिलता है। इसके बाद भी बिना सब्सिडी के
जेल में खरीदी की गई है। इसके लिए नेफेड दो प्रतिशत अतिरिक्त राशि भी ले
रहा है। इसी तरह गुड 5100 और चायपत्ती 32400 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदा
जा रहा है।इससे पहले चायपत्ती 21000 रुपए और गेंहूू 2700 रुपए में खरीदा जा
रहा था।
जेल मैनुअल के अनुसार राशन की आपूर्ति रोज या सात दिनों
के लिए ही की जाती है। एक साथ कभी भी दो-तीन माह का राशन नहीं खरीदा जाता।
अधिकतम सात दिनों तक का ही राशन खरीदा जाता था, क्योंकि इसमें राशन खराब
होने का डर रहता है, लेकिन पहली बार एक साथ तीन माह का राशन खरीद लिया गया।
इसमें
गर्मी में खराब होने वाली सामाग्री भी शामिल है। राज्य के 33 जेलों में
बंद करीब 18 हजार कैदियों के लिए राशन की खरीदारी की जाती है। जेल मैनुअल
में उनके लिए भोजन से लेकर नाश्ते की मात्रा तक तय है। इसी तरह उन्हें किस
दिन कौन सी दाल और सब्जी देनी है, यह भी तय है। जेल नियमों के विपरित
अफसरों ने अरहर दाल की खरीदी ही नहीं की।
टेंडर में तीन कंपनियां जरूरी पर पालन नहीं
नियमों
के अनुसार जेल विभाग जब भी टेंडर जारी करेगा, उसमें कम से कम तीन कंपनियों
का शामिल होना जरूरी है, जिसका रेट सबसे कम होगा उसे ही आपूर्ति का ठेका
दिया जाता है। यह ठेका एक साल के लिए होता है।अफसरों ने इस नियम का भी पालन
नहीं किया है। आचार संहिता के बीच गुपचुप तरीके से टेंडर कर उत्तरप्रदेश
की एक कंपनी को ठेका दे दिया गया।
इस तरह से चला खेल
खाद्य
व्यापारी महेश आहूजा ने बताया कि वे अभी भी जेल में खाद्य पदार्थों की
आपूर्ति कर रहे हैं। उनका टेंडर खत्म नहीं हुआ है। उन्हें तीन माह और अनाज
की आपूर्ति करनी थी, लेकिन जेल के उच्चअधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन कर
टेंडर जारी कर दिया, जबकि जेल में खरीदारी का अधिकार अधीक्षक को ही है।
इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, राज्यपाल और राज्य मानवाधिकार आयोग से
की गई है।
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