डॉ बीएल अग्रवाल का अपने पिता श्री राम कुमार अग्रवाल से प्रेरित होकर उनके मार्गदर्शन में आईएएस अधिकारी बनने तक का सफर पिता का पुत्र के लिए ...
डॉ बीएल अग्रवाल का अपने पिता श्री राम कुमार अग्रवाल से प्रेरित होकर उनके मार्गदर्शन में आईएएस अधिकारी बनने तक का सफर
पिता का पुत्र के लिए मार्गदर्शन एवं संस्कार,श्री राम कुमार अग्रवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं थे। आपको बता दें कि हाल ही में इनके पिता श्री राम कुमार अग्रवाल का मृत्यु हो गया,पिता का गुजर जाना इनके लिए बहुत दुःख भरा पल था। इन्हें पिता का मार्गदर्शन और सहयोग निरंतर मिलता रहा एवं शिक्षा से लेकर सामाजिक कार्यों में अपने पिता होने का फर्ज निभाते हुए अपने संस्कारों से अपने बेटे यानी डॉ बीएल अग्रवाल को शिक्षा से लेकर सामाजिक स्तर पर मार्गदर्शन दिया और उन्हें जीवन के मूल्य हिस्सों का पाठ पढ़ाया। श्री राम कुमार अग्रवाल एक नेक और अध्यात्मिक ज्ञान में रुचि रखने वाले व्यक्ति थे, सामाजिक कार्य में लोगों की मदद करना और जरूरत मंद को पूर्ण सहयोग करना एवं कार्यों को निडर होकर पूर्ण करना उनके व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण पहलू था।
श्री राम कुमार अग्रवाल सादा जीवन उच्च विचार रखने वाले व्यक्तियों में से थे इनके संस्कार और मार्गदर्शन का बहुत बड़ा असर इनके बेटे यानी डॉ बीएल अग्रवाल पर पड़ा और अपने पिता से प्रेरणा लेकर डॉ बीएल अग्रवाल ने एक आईएएस अधिकारी बनने का सफर पूरा किया। उन्होंने अपने बच्चों को हमेशा दूसरों की सहायता करने की प्रेरणा दी,निस्वार्थ भाव से सेवा करने को प्रेरणा दी और हमेशा ईमानदारी के साथ समाज और देश की सेवा करने की सीख दी।
उल्लेखनीय है की डॉ बीएल अग्रवाल के दादा जी श्री प्यारे लाल अग्रवाल जी ने भी स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया था तथा वे खादी व स्वदेशी के पक्ष में जनचेतना जागृत करने का कार्य करते रहे। श्री राम कुमार अग्रवाल एक अत्यंत आध्यात्मिक व्यक्ति होकर गौ सेवा,महिलाओं के सशक्तिकरण,गरीब एवं असहाय व्यक्तियों की सहायता करते हुए उन्होंने अपने सभी बच्चों को उच्च श्रेणी की शिक्षा प्रदान की एवं जीवन भर शाकाहार का व्रत लेकर अपने व्यापार,उद्योग एवं व्यवसाय को स्थापित किया। अपने पिता के इन सभी गुणों की झलक सहज ही डॉ बीएल अग्रवाल के व्यक्तित्व में भी देखने को मिलती है। डॉ बीएल अग्रवाल सीहोर,राजनांदगांव,दुर्ग जिले के कलेक्टर के पद पर रहे तथा मंत्रालय में भी विभिन्न विभागों में पदस्थ रहते हुए अपने मृदु व्यवहार तथा जनकल्याणकारी कार्यों के कारण उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी।
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