कन्या छात्रावासों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था पर दे ध्यान अधीक्षक प्रमुख सचिव श्री सोनमणी बोरा ने कलेक्टरों, परियोजना-प्रशासकों और सहायक ...
कन्या छात्रावासों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था पर दे ध्यान अधीक्षक
प्रमुख सचिव श्री सोनमणी बोरा ने कलेक्टरों, परियोजना-प्रशासकों और सहायक आयुक्तों को लिखा पत्र
रायपुर । आदिम जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणी बोरा ने राज्य के सभी
जिला कलेक्टरों, परियोजना-प्रशासक (एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना) और
समस्त सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को पत्र लिखकर आगामी शैक्षणिक सत्र
2025-26 के प्रारंभ होने से पहले आश्रम-छात्रावास में सभी आवश्यक
व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने के निर्देश दिए हैं।
प्रमुख सचिव श्री बोरा द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि आदिम जाति
विकास विभाग द्वारा संचालित आश्रम-छात्रावास महत्वपूर्ण संस्थान है, जहां
विद्यार्थी अनुशासन में रहकर शिक्षा ग्रहण करते है। इन आश्रम-छात्रावासों
में प्रवेशित विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास के लिए अनेक योजनाएं संचालित
है। आश्रम-छात्रावास में आदिम जाति, अनुसूचित जाति अन्य पिछड़ा व कमजोर
वर्ग के विद्यार्थी आश्रम-छात्रावास में रहकर शिक्षा ग्रहण करते है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में और विभागीय मंत्री श्री
रामविचार नेताम के मार्गदर्शन में इन वर्गो के समुचित विकास के लिए सरकार
प्राथमिकता से कार्य कर रही है।
पत्र में कहा गया है कि विभाग द्वारा आश्रम-छात्रावासों में प्रवेश हेतु
निर्धारित तिथि एवं माप दण्ड के अनुरूप नए विद्यार्थियों के प्रवेश हेतु
आवश्यक कार्यवाही किया जाए। कन्या छात्रावासों में महिलाओं एवं बालिकाओं की
सुरक्षा एवं आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए।
पत्र में कहा गया है कि आश्रम-छात्रावासों से यह संज्ञान में आया है कि
छात्रावासी विद्यार्थियों में खाज, खुजली व अन्य चर्म रोग की शिकायत पायी
जाती है, जिसका एक बड़ कारण कपड़ों, चादरों का स्वच्छ नहीं होना है। इन रोगों
की रोकथाम के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्रियों जैसे गद्दा, चादर, पलंग
आदि का नियमित साफ सफाई किया जाए, नेफथालिन की गोली आदि डालकर रखा जाए।
साथ ही व्यक्तिगत स्वच्छता के तहत् प्रत्येक बच्चें के नाखून और बाल
समय-समय पर कटवाएं जाएं व कपड़े साफ-सुथरे हो। छात्रावास के छत और परिसर का
भी नियमित रूप से साफ-सफाई हो ताकि विद्यार्थियों के स्वच्छ वातावरण,
आकर्षक और शैक्षणिक वातावरण मिल सकें।
प्रमुख सचिव श्री बोरा द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि ऐसे
आश्रम-छात्रावास भवन जिनकी छत खपरैल की हो अथवा जर्जर हो तो उन्हें बरसात
के पहले मरम्मत व ठीक कर लिया जाए। साथ ही शौचालय, स्नानागार, विद्युत
उपकरण आदि की मरम्मत का कार्य रंगरोगन का कार्य पूर्ण करा लिया जाए और
छात्रावास-आश्रमों की आंतरिक दीवारों पर महत्वपूर्ण जानकारियां व श्लोगन
आदि अंकित किया जाए।
पत्र में कहा गया है कि प्री-मेट्रिक छात्रावासों एवं आश्रमों में
निवासरत विद्यार्थियों को शिष्यवृत्ति की राशि ऑनलाईन भुगतान की जाती है उस
राशि का सही उपयोग हो। साथ ही वर्ष 2025-26 के लिए छात्रवृत्ति,
शिष्यवृत्ति नवीनीकरण आश्रम-छात्रावास में प्रवेश के साथ ही अनिवार्य रूप
से 30 मई तक कर लिया जाए और उन्हें प्रथम किश्त की शिष्यवृत्ति रशि 10 जून
तक जारी करना सुनिश्चित किया जाए।
पत्र में कहा गया है कि छात्रावास-आश्रम परिसर में अनिवार्य रूप से अधीक्षक
और चौकीदार निवासरत रहे। अनाधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश वर्जित हो। बच्चों
को नशीले व मादक पदार्थों के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक किया जाए, उनका
नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण हो। आश्रम-छात्रावासों में बागवानी तैयार
किया जाए और छात्रावास परिसर में वृक्षारोपण अनिवार्य रूप से कराया जाए।
साथ ही छात्रावास-आश्रम में प्रति माह निगरानी समिति की बैठक के दिन
पालक-विद्यार्थियों का सम्मेलन आयोजित किया जाए। कन्या आश्रम-छात्रावासों
का विशेष निगरानी हो। वहां के कर्मचारियों के व्यवहार पर भी नजर रखा जाना
चाहिए।
पत्र में कहा गया है कि सहायक आयुक्त, सहायक संचालक, क्षेत्र संयोजक एवं
मण्डल संयोजक द्वारा प्रति माह अपने-अपने क्षेत्र के आश्रम-छात्रावासों का
निरीक्षण किया जाना सुनिश्चित हो। आश्रम-छात्रावासों को आदर्श
आश्रम-छात्रावास बनाने के दिशा में विकसित करने का प्रयास किया जाए।
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