स्थानीय शिल्प और परंपराओं के प्रति संवेदनशीलता का उदाहरण बने मुख्यमंत्री श्री साय रायपुर । प्रदेशव्यापी सुशासन तिहार के तहत मुख्यमंत्री ...
स्थानीय शिल्प और परंपराओं के प्रति संवेदनशीलता का उदाहरण बने मुख्यमंत्री श्री साय
रायपुर । प्रदेशव्यापी सुशासन तिहार के तहत मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज
बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के कसडोल विकासखंड स्थित विशेष पिछड़ी जनजाति
क्षेत्र बलदाकछार पहुंचे। यहां उन्होंने बरगद के नीचे चौपाल लगाकर
ग्रामीणों से आत्मीय संवाद किया और योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत
जानी। चौपाल के उपरांत वे सीधे कमार बस्ती पहुंचे, जहां बांस शिल्प से
जीविका चला रहे परिवारों से भी मुलाकात की। मुख्यमंत्री श्री साय ने बस्ती में कुलेश्वरी कमार के परिवार को बांस से
परंपरागत घरेलू उपयोग की सामग्री - पर्रा, धुकना, सुपा बनाते देखा।
उन्होंने न केवल उनके कार्य में गहरी रुचि दिखाई, बल्कि प्रत्येक वस्तु की
जानकारी एवं कीमत भी खुद पूछी। मुख्यमंत्री की यह संवेदनशीलता वहां मौजूद
सभी ग्रामीणों को आत्मीयता का अनुभव करा गई। मुख्यमंत्री श्री साय को बांस से बनी सामग्रियाँ इतनी पसंद आईं कि उन्होंने
अपने परिवार में होने वाली शादी के लिए तुरंत दो पर्रा, दो धुकना और एक
सुपा खरीद लिया। कुल 600 रुपए की राशि बनती थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने
कुलेश्वरी को 700 रुपए देकर न केवल उनकी मेहनत का सम्मान किया, बल्कि उनके
आत्मविश्वास को भी नई ऊर्जा दी। मुख्यमंत्री श्री साय का यह सहज और संवेदनशील व्यवहार जनप्रतिनिधि के रूप
में उनके धरातल से जुड़ाव को दर्शाता है। मुख्यमंत्री श्री साय ने चौपाल में
भी यह संदेश दिया कि प्रदेश के हर कोने में बसे अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं
का लाभ पहुँचना चाहिए और पारंपरिक ज्ञान एवं स्थानीय शिल्प को भी राज्य
सरकार निरंतर प्रोत्साहन देती रहेगी।परंपरागत शिल्प को प्रोत्साहन देने और स्थानीय कारीगरों की मेहनत को
मान्यता देने का यह उदाहरण शासन और समाज के बीच सेतु निर्माण की दिशा में
एक प्रेरक कदम है।
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