'नियद नेल्ला नार' बना सुशासन का जीवंत प्रमाण: जहाँ कभी बंदूकें थीं, वहाँ अब किताबें हैं – बस्तर में भय से विश्वास की ओर बढ़ती नई...
'नियद नेल्ला नार' बना सुशासन का जीवंत प्रमाण: जहाँ कभी बंदूकें थीं, वहाँ अब किताबें हैं – बस्तर में भय से विश्वास की ओर बढ़ती नई सुबह
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के वे सुदूरवर्ती गाँव, जो वर्षों तक विकास की
मुख्यधारा से कटे रहे, आज नई उम्मीदों और उजालों की ओर अग्रसर हैं। जहाँ
कभी बिजली, सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएँ और संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं
का अभाव था, वहीं अब वही गाँव प्रगति के रास्ते पर तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
इस बदलाव की नींव मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व और
जन सरोकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप 15 फरवरी 2024 को
'नियद नेल्लानार – आपका आदर्श ग्राम योजना' के रूप में रखी गई। यह योजना उन
क्षेत्रों तक शासन की संवेदनशील और सक्रिय पहुँच सुनिश्चित करने का
क्रांतिकारी प्रयास है, जहाँ अब तक केवल उपेक्षा और प्रतीक्षा का सन्नाटा
था। मुख्यमंत्री श्री साय का स्पष्ट मानना रहा है कि केवल सुरक्षा शिविर
स्थापित कर देना पर्याप्त नहीं, जब तक वहाँ शासन की संवेदनशील उपस्थिति और
समग्र विकास की किरण नहीं पहुँचे। इसी सोच के साथ बस्तर के पाँच नक्सल
प्रभावित जिलों—सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कांकेर—में 54 नए
सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए। इन शिविरों के 10 किलोमीटर के दायरे में आने
वाले 327 गाँवों को चिन्हित कर यह निर्णय लिया गया कि इन सभी को
शत-प्रतिशत योजनाओं से जोड़ते हुए एक नया विकास मॉडल प्रस्तुत किया जाएगा। इस पहल के साथ ही गाँवों में बदलाव की हवा बहने लगी है। शिक्षा के क्षेत्र
में सरकार ने 31 नए प्राथमिक विद्यालयों की स्वीकृति दी, जिनमें से 13
स्कूलों में कक्षाएँ शुरू हो चुकी हैं। 185 आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना
को स्वीकृति दी गई, जिनमें से 107 पहले ही प्रारंभ हो चुके हैं, जिससे
बच्चों को पोषण और प्रारंभिक शिक्षा की सुविधा मिलने लगी है। स्वास्थ्य
सेवा के क्षेत्र में 20 उप-स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत किए गए, जिनमें से 16
स्वास्थ्य केंद्र प्रारम्भ हो चुके हैं। ये वही गाँव हैं जहाँ पहले एक
सामान्य दवा के लिए भी लोगों को मीलों जंगल पार करना पड़ता था। मुख्यमंत्री श्री साय के नेतृत्व में संचार और संपर्क साधनों को विशेष
प्राथमिकता दी गई है। पहले जहाँ मोबाइल सिग्नल का नामोनिशान नहीं था, वहाँ
अब 119 मोबाइल टावरों की योजना बनी और 43 टावर कार्यशील हो चुके हैं। 144
हाई मास्ट लाइट्स की मंजूरी दी गई, जिनमें से 92 गाँवों में अब रात के
अंधेरे में उजियारा फैलने लगा है। सड़क और पुल निर्माण के लिए 173 योजनाएँ
बनाई गईं, जिनमें से 116 को स्वीकृति मिल चुकी है और 26 कार्य पूर्ण हो
चुके हैं। यह विकास केवल अधोसंरचना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक
भावनात्मक जुड़ाव और पहचान का सशक्त माध्यम बन चुका है। आर्थिक और सामाजिक
सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अब तक 70,954 लोगों
के आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं, 46,172 वृद्धजनों को आयु प्रमाण-पत्र जारी
किए गए हैं और 11,133 नागरिकों का मतदाता पंजीकरण हुआ है, जिससे वे
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदार बन पाए हैं। 46,172 लोगों को आयुष्मान
कार्ड जारी कर मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। प्रधानमंत्री आवास
योजना के अंतर्गत 12,232 मकानों का लक्ष्य तय किया गया है, जिनमें से 5,984
परिवारों को स्वीकृति मिल चुकी है। किसान सम्मान निधि योजना के तहत 4,677
किसानों को सहायता राशि प्रदान की गई है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत
6,460 घरों में व्यक्तिगत शौचालय बनाए गए हैं। रसोई को धुएँ से मुक्त करने
के उद्देश्य से 18,983 महिलाओं को उज्ज्वला और गौ-गैस योजना के तहत गैस
कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। 30 गाँवों में डीटीएच कनेक्शन भी दिए गए हैं,
जिससे ये गाँव अब सूचना और मनोरंजन के मुख्य प्रवाह से जुड़ चुके हैं। यह परिवर्तन मात्र योजनाओं का संकलन नहीं है, बल्कि शासन और जनता के बीच एक
नए भरोसे का रिश्ता है, जिसकी बुनियाद सहभागिता और पारदर्शिता पर टिकी है।
वर्षों तक शासन से कटे रहे लोग अब स्वयं विकास की निगरानी में सहभागी बन
रहे हैं। अब ग्रामीण स्वयं आंगनबाड़ी की उपस्थिति पंजी, राशन दुकान की
गुणवत्ता और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी कर रहे हैं। यह वही
बस्तर है, जो भय से विश्वास और उपेक्षा से भागीदारी की ओर बढ़ चला है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की इस दूरदर्शिता ने एक बार फिर यह सिद्ध
किया है कि सुशासन केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि जमीनी क्रियान्वयन से आता
है। 'नियद नेल्लानार' केवल एक योजना नहीं, बल्कि यह बस्तर के पुनर्जागरण की
यात्रा है—एक ऐसी यात्रा जिसमें बंदूक की जगह अब किताबें हैं, अंधेरे की
जगह उजियारा है और असहमति की जगह अब सहभागी लोकतंत्र की भावना है।
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