मलेरिया एवं एनीमिया उन्मूलन अभियानों के सफल क्रियान्वयन के लिए विभागीय प्रयासों के साथ-साथ सामुदायिक सहभागिता भी जरूरी: स्वास्थ्य मंत्री...
मलेरिया एवं एनीमिया उन्मूलन अभियानों के सफल क्रियान्वयन के
लिए विभागीय प्रयासों के साथ-साथ सामुदायिक सहभागिता भी जरूरी: स्वास्थ्य
मंत्री
केन्द्र और राज्य के स्वास्थ्य कार्यक्रमों को मिशन मोड में लागू कर
स्वास्थ्य संबंधित गुणवत्ता सेवा में जिलों को अग्रणी बनाएं -:श्री जायसवाल
मंत्री ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और सिविल सर्जनों
को निर्देश दिया कि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य करें। उन्होंने कहा
कि मलेरिया उन्मूलन के लिए छोटी-छोटी बातों पर भी गंभीरता से ध्यान देने की
आवश्यकता है, क्योंकि यही सतर्कताएं मिलकर बड़े परिणाम देती हैं।
मंत्री श्री जायसवाल ने स्पष्ट निर्देश दिए कि डीडीटी का छिड़काव स्कूलों,
आंगनवाडि़यों, आश्रम शालाओं एवं पोटाकेबिनों में मिशन मोड में किया जाए,
ताकि मलेरिया की रोकथाम प्रभावी ढंग से हो सके। साथ ही, सभी स्वास्थ्य
अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे मच्छरदानी के उपयोग को लेकर अधिक
से अधिक जन जागरूकता फैलाएं।
बैठक के दौरान मंत्री ने पारंपरिक उपायों की चर्चा करते हुए कहा कि गांवों
में नीम की पत्तियों और गोबर के कंडे जलाकर मच्छरों को भगाने की परंपरा रही
है, जिसे भी अपनाया जा सकता है। उन्होंने इन उपायों को भी समुदाय में
पुनर्जीवित करने की बात कही। स्वास्थ्य मंत्री ने चिरायु कार्यक्रम के
संदर्भ में कहा कि स्वास्थ्य विभाग के मैदानी चिकित्सा कर्मचारियों
कार्यकर्ताओं की कार्यक्षमता का सही उपयोग सुनिश्चित करें। सभी स्वास्थ्य
अभियानों में अन्य विभाग के समन्वय के साथ-साथ अधिकारियों जनप्रतिनिधियों
आमजनों की भागीदारी भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि बस्तर जैसे अंचल में गुणवत्तापूर्ण
स्वास्थ्य सेवा प्रदाय किया जाना एक सही मायने में स्वयं के लिए उपलब्धि
है। चूंकि चिकित्सकीय पेशा को ईश्वरीय दर्जा दिया जाता है। अतः इसी
सिद्धांत को सर्वोपरि रख कर हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम उत्तम से उत्तम
जनसेवा कर इसे सार्थक बनाये। फिर चाहे वह राज्य एवं केन्द्र सरकार की
मलेरिया, एनीमिया, क्षय रोग, उन्मूलन योजना, मातृ शिशु स्वास्थ्य
कार्यक्रम, आरोग्य मेला जैसे अभियान हो हर अभियान को मिशन मोड में पूरा
करें। ताकि स्वास्थ्य संबंधित गुणवत्ता सेवा में हमारा प्रदेश राष्ट्रीय
स्तर पर अग्रणी हो।
बैठक में स्वास्थ्य सचिव श्री अमित कटारिया एवं आयुक्त सह संचालक डॉ.
प्रियंका शुक्ला द्वारा बस्तर संभाग के कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर,
बस्तर, सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा जिलों में संचालित विभिन्न स्वास्थ्य
कार्यक्रमों के प्रदर्शन पर समीक्षा करते हुए मंत्री जी को अवगत कराया
गया।
ये जानकारी दी गई कि राज्य शासन द्वारा स्वास्थ्य संबंधी सभी कार्यक्रमों
की क्रियान्वयन की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है साथ ही इसके क्रियान्वयन
में किसी भी प्रकार की समस्याओं दिक्कतों पर तुरंत कार्यवाही की जाती है।
इस दौरान कहा गया कि शासन का उद्देश्य है कि मलेरिया को पूरी तरह समाप्त
किया जाए। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब जिला, विकासखंड और ग्राम स्तर
पर स्वास्थ्य अमला पूरी सक्रियता के साथ कार्य करे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और खंड चिकित्सा अधिकारियों को
निर्देशित किया गया कि वे स्वयं फील्ड में जाकर मलेरिया अभियान की निगरानी
करें। आरडी किट से जांच के दौरान यदि कोई व्यक्ति मलेरिया पॉजिटिव पाया
जाता है, तो उसे दवा की पूरी खुराक दी जाए। साथ ही मितानिनों द्वारा दी गई
दवाओं का रैफर जमा किया जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मरीज ने दवा
पूरी कर ली है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “मलेरिया से किसी भी स्थिति में
मृत्यु नहीं होनी चाहिए।
इस दौरान बैठक में अध्यक्ष सीजीएमएससी श्री दीपक महस्के, विधायक श्री
चैतराम अटामी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री नंदलाल मुड़ामी, कलेक्टर कुणाल
दादावत, संचालक महामारी नियंत्रण श्री एसके पाम्भोेई, जिला पंचायत सीईओ
श्री जयंत नाहटा तथा स्वास्थ्य एवं जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीगण
उपस्थित रहे।
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