Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

ब्रेकिंग

latest

एमसीबी जिले पर विशेषः लगभग दो सौ वर्षों बाद हुआ पुनः विभाजन

  एमसीबी/ छत्तीसगढ़ के 32वें जिले के रूप में 9 सितम्बर 2022 को अस्तित्व में आया मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला, जो कोरिया जिले से विभाजित होक...

 

एमसीबी/ छत्तीसगढ़ के 32वें जिले के रूप में 9 सितम्बर 2022 को अस्तित्व में आया मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला, जो कोरिया जिले से विभाजित होकर बना और जिसका मुख्यालय मनेंद्रगढ़ में स्थापित किया गया। जिले के नोडल अधिकारी पर्यटन, पुरातत्व एवं इतिहासकार डॉ. विनोद कुमार पांडेय बताते हैं कि पूर्व में कोरिया रियासत में 1600 ई. तक राजा बालंद का शासन था। 1750 में मैनपुरी के चौहान वंश के दलथम्मन शाही व धारमलशाही कोरिया पहुंचे और वहां कोल जाति व गोंडों के बाद चौहान वंश का राज्य स्थापित हुआ। यह वंश स्वयं को सम्राट पृथ्वीराज चौहान का वंशज मानता है। कुछ समय उपरांत ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों नागपुर के मोड़ेजी भोसले के परास्त हो जाने के बाद छत्तीसगढ़ के अधिकांश राज्य ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आ गए और उसी के साथ कोरिया राज्य भी ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आ गया। 24 दिसंबर 1819 में राजा गरीब सिंह के स्वीकृत करारनामा के अनुसार राज्य को 400 रुपये वार्षिक अंग्रेजों को देने का प्रावधान किया गया, साथ ही चांगभखार रियासत (जनकपुर) कोरिया की सामंती अधीनता होने के कारण 386 रुपये कोरिया राज्य के माध्यम से कंपनी को देना तय हुआ। आगे डॉ. पांडेय बताते हैं कि राजा गरीब सिंह के बाद राजा अमोल सिंहदेव का शासन प्रारंभ हुआ। सन् 1848 में हुए एक अन्य अनुबंध के अनुसार चांगभखार रियासत ने देय राशि सीधे ईस्ट इंडिया कंपनी को देना शुरू कर दिया और इस प्रकार वह कोरिया रियासत से अलग होकर स्वतंत्र अस्तित्व में आ गया तथा उसे ‘भैया’ की उपाधि दी गई। कालांतर में इतिहास ने करवट ली और लगभग 200 वर्षों बाद 25 मई 1998 को रियासत के इसी हिस्से में कोरिया जिले का गठन हुआ, जिसका मुख्यालय बैकुंठपुर बनाया गया और इसका क्षेत्रफल 5977.70 वर्ग किलोमीटर निर्धारित किया गया। जिस प्रकार 1848 में कोरिया रियासत से अलग होकर चांगभखार रियासत का स्वतंत्र अस्तित्व बना था, उसी प्रकार इतिहास दोहराया गया और 9 सितंबर 2022 को कोरिया जिले से अलग होकर नवीन मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला अस्तित्व में आया, जिसका मुख्यालय मनेंद्रगढ़ बनाया गया। इसमें पूर्व चांगभखार रियासत तथा कोरिया रियासत का कुछ भाग शामिल किया गया। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले का गठन कोरिया जिले के उपखंड मनेंद्रगढ़ (तहसील मनेंद्रगढ़ व केल्हारी), उपखंड भरतपुर (तहसील भरतपुर), उपखंड खड़गवां-चिरमिरी (तहसील खड़गवां एवं चिरमिरी) को समाविष्ट करते हुए किया गया। इसकी सीमाएं उत्तर में तहसील कुसमी जिला सीधी-सिंगरौली (मध्यप्रदेश), दक्षिण में तहसील पोड़ी उपरोड़ा जिला कोरबा एवं तहसील रामानुजनगर जिला सूरजपुर, पूर्व में तहसील बैकुंठपुर एवं सोनहत तथा पश्चिम में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही व अनूपपुर (मध्यप्रदेश) जिले से मिलती हैं। जिले का क्षेत्रफल 1726.39 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 4,22,248 थी।

जिले के नामकरण के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए डॉ. पांडेय बताते हैं कि वास्तव में मनेंद्रगढ़ का मूल नाम कारीमाटी था, क्योंकि यहां के आसपास कोयले का विशाल भंडार था तथा इस भूभाग की मिट्टी काली थी। सन 1927 में कारीमाटी में भीषण आग लग गई, जिससे संपूर्ण क्षेत्र जलकर राख हो गया। 1930 में रेलवे लाइन आने के बाद तत्कालीन कोरिया राजा रामानुज प्रताप सिंह ने रेलवे स्टेशन के निकट नगर बसाने का निर्णय लिया और इस स्थान का नाम अपने तृतीय पुत्र महेंद्र प्रताप सिंहदेव के नाम पर मनेंद्रगढ़ रखा। चिरमिरी नाम की उत्पत्ति का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है, फिर भी एक मत के अनुसार यहां चेरी माई की स्मृति में स्थित एक सती मंदिर था, जो भग्नावस्था में था और उसी के नाम पर इस क्षेत्र का नाम चिरमिरी पड़ा होगा। इसी प्रकार जनकपुर का संबंध चांगभखार रियासत से रहा है और इसका नामकरण रियासत की कुलदेवी माता चांगदेवी के नाम पर किया गया था।

No comments