67 हेक्टेयर में तैयार किया जा रहा इसका बीज कम लंबाई के कारण तेज हवा और आंधी-तूफान में भी रहता है सुरक्षित प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमत...
67 हेक्टेयर में तैयार किया जा रहा इसका बीज
कम लंबाई के कारण तेज हवा और आंधी-तूफान में भी रहता है सुरक्षित
प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता 60-70 क्विंटल, 125-130 दिनों में तैयार हो जाती है फसल
बेमेतरा में कृषि विभाग के उप संचालक श्री मोरध्वज डड़सेना ने बताया कि
‘विक्रम टीसीआर’ की लंबाई कम और उपज अधिक है। कम लंबाई के कारण यह तेज हवा
और आंधी-तूफान में भी गिरती नहीं है। यह धान के अन्य बीजों की तुलना में
अधिक हवादार परिस्थितियों को सहन कर सकती है। उन्होंने बताया कि जिले में
67 हेक्टेयर में धान की इस नवीन किस्म का बीज कृषकों द्वारा तैयार किया जा
रहा है। आदिवासी ग्राम झालम में भी पहली बार कृषकों ने इस किस्म के
बीजोत्पादन का कार्यक्रम लिया है। यह उत्पादित बीज किसानों द्वारा उच्च
कीमत पर बीज निगम में विक्रय कर अगले वर्ष जिले के अन्य किसानों को खेती के
लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
श्री डड़सेना ने बताया कि पिछले वर्ष 16 हेक्टेयर में सुगंधित धान की किस्म
‘सीजी देवभोग’ का बीज तैयार किया गया था। इस वर्ष ‘सीजी देवभोग’ के साथ
‘विक्रम टीसीआर’ का बीज अधिक मात्रा में उत्पादित होगा। इससे बेमेतरा जिला
नवीन किस्मों के बीज के उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा और किसानों को अधिक
सुरक्षित, लाभकारी और कम पानी की खपत वाली फसल के विकल्प मिलेंगे। कृषि
विशेषज्ञों का कहना है कि ‘विक्रम टीसीआर’ न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति
मजबूत करेगा, बल्कि जल संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
कृषि विभाग के इस कदम को बेमेतरा में आधुनिक और सतत कृषि की दिशा में एक
बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि बेमेतरा जिले के सभी विकासखंडों को केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय द्वारा जल संकट के दृष्टिकोण से रेड जोन घोषित किया गया है। साजा विकासखंड को सेमी-क्रिटिकल जोन में तथा बेमेतरा, बेरला और नवागढ़ विकासखंडों को क्रिटिकल जोन में शामिल किया गया है। जिले की स्थिति को देखते हुए किसानों के लिए केवल खेती करना ही नहीं, बल्कि जल संरक्षण भी अत्यंत आवश्यक हो गया है। धान की ये नई किस्में जल संरक्षण और फसल सुरक्षा में बहुत उपयोगी साबित होंगी।
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