रायपुर। छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी नरेगा कार्यों में पारदर्शिता के लिए डिजिटल क्रांति की शुरुआत हो गई है. मनरेगा कार्यों को पारदर्शी और ...
रायपुर। छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी नरेगा कार्यों में पारदर्शिता के लिए डिजिटल क्रांति की शुरुआत हो गई है. मनरेगा कार्यों को पारदर्शी और सुलभ बनाने के लिए क्यूआर कोड और जीआईएस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. इससे ग्रामीण एक साधारण स्कैन से मनरेगा के तहत स्वीकृत कार्यों, परियोजनाओं व खर्च पर नजर रख सकते हैं.पंचायत व ग्रामीण विकास तथा आईटी विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सुशासन की ओर एक कदम और बढ़ाते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नई तकनीकी पहल शुरू की है. अब हर ग्राम पंचायत के लिए क्यूआर कोड बनाए गए हैं. पंचायत भवन और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर यह क्यूआर कोड लगे हैं. इसके जरिए ग्रामीण अपने स्मार्टफोन से कोड स्कैन करके पिछले तीन वर्षों में उनके गांव में किए गए मनरेगा कार्यों की पूरी जानकारी और खर्च का विवरण आसानी से देख सकेंगे. ग्रामीण इस क्यूआर कोड को अपने स्मार्टफोन से स्कैन कर तुरंत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम (मनरेगा) के तहत स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण, बजट व खर्च की स्थिति की जानकारी ले सकते हैं.छत्तीसगढ़ के मनरेगा आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा के मुताबिक, पंचायतों में क्यूआर कोड तैयार करने का विचार किसी बोर्डरूम से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर आया है. प्रमुख सचिव के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे के दौरान, यह स्पष्ट गारंटी हो गया कि क्यूआर कोड गांवों में पहले से ही एक जाना-पहचाना उपकरण था, जिसका व्यापक रूप से डिजिटल भुगतान और छोटे व्यावसायिक लेन-देन के लिए उपयोग किया जाता है. सिन्हा बताते हैं कि ग्रामीणों ने क्यूआर कोड पर भरोसा किया. इस अंतर्दृष्टि और प्रशासन द्वारा सुशासन और पारदर्शिता के लिए निरंतर प्रयासों के संयोजन से एक अभूतपूर्व विचार सामने आया कि मनरेगा डेटा तक पहुंच खोलने के लिए क्यूआर कोड का उपयोग क्यों न किया जाए? इसके बाद इस परियोजना को हरी झंडी दी गई और इसे अब पूरे राज्य में लागू किया जा रहा है.
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