लेखक: छगनलाल लोन्हारे, उप संचालक (जनसंपर्क) रायपुर । सुशासन केवल प्रशासनिक दक्षता का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े ...
- लेखक: छगनलाल लोन्हारे, उप संचालक (जनसंपर्क)
विष्णु के सुशासन की स्पष्ट झलक श्रम विभाग द्वारा अपनाए गए डिजिटल नवाचारों में दिखाई देती है। प्रशासनिक पारदर्शिता और कार्यकुशलता बढ़ाने के उद्देश्य से समस्त नस्तियों का संधारण ई-ऑफिस प्रणाली के माध्यम से प्रारंभ किया गया है। विभागीय योजनाओं और सेवाओं को आमजन के लिए सरल, सुलभ और पारदर्शी बनाने हेतु एक आधुनिक, यूज़र-फ्रेंडली विभागीय वेबसाइट विकसित की गई है। श्रमिकों की सुविधा को केंद्र में रखते हुए तैयार किया गया ‘श्रमेव जयते’ मोबाइल ऐप श्रमिक पंजीयन, योजनाओं में आवेदन तथा श्रमिक पलायन की ऑनलाइन जानकारी दर्ज करने का प्रभावी माध्यम बनकर उभरा है, जो डिजिटल सुशासन की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
राज्य के नवगठित जिलों तक श्रम विभाग की प्रभावी पहुँच सुनिश्चित करने
के लिए पाँच नवीन श्रम पदाधिकारी कार्यालयों की स्थापना हेतु 20 पदों का
सृजन किया गया। इसके साथ ही वर्ष 2024-25 के दौरान श्रमायुक्त संगठन
अंतर्गत श्रम पदाधिकारी, श्रम निरीक्षक एवं उप निरीक्षक के पदों पर कुल 32
नई नियुक्तियाँ की गईं। इन प्रयासों से न केवल विभागीय कार्यों में गति आई,
बल्कि श्रमिकों को समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ भी सुनिश्चित हुईं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने श्रम कानूनों
में आवश्यक और संतुलित सुधार करते हुए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और श्रमिक हितों
के मध्य सामंजस्य स्थापित किया है। छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना अधिनियम,
2017 के प्रभावी क्रियान्वयन से छोटे व्यापारियों को राहत मिली, वहीं नियत
कालिक नियोजन कर्मकार की नई श्रेणी ने रोजगार के नए अवसरों के द्वार खोले।
राष्ट्रपति की अनुमति के उपरांत लागू किए गए छत्तीसगढ़ श्रम कानून संशोधन एवं विविध प्रावधान विधेयक, 2025 के माध्यम से अवैधानिक हड़ताल पर नियंत्रण, छोटे अपराधों में समझौते तथा लघु उद्योगों को छूट जैसे प्रावधान किए गए। महिला सशक्तिकरण की दिशा में रात्रि पाली में महिला कर्मकारों के सशर्त नियोजन की अनुमति देना सरकार की प्रगतिशील और संवेदनशील सोच को दर्शाता है।
श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन के मार्गदर्शन में श्रमिक कल्याण योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सरकार की मानवीय प्रतिबद्धता का सशक्त प्रमाण है। विभिन्न श्रम मंडलों के माध्यम से दो वर्षों में 11.03 लाख नए श्रमिकों का पंजीयन किया गया तथा 27.33 लाख श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान किया गया। इस अवधि में 784.73 करोड़ रुपये से अधिक की राशि श्रमिक कल्याण पर व्यय की गई, जो यह दर्शाती है कि यह सरकार आंकड़ों से आगे बढ़कर संवेदना के साथ श्रमिकों के जीवन में बदलाव ला रही है।
24×7 संचालित मुख्यमंत्री श्रमिक सहायता केंद्र ने शिकायत निवारण और पंजीयन प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाया है। वहीं प्रत्येक जिले और विकासखंड में संचालित मुख्यमंत्री श्रम संसाधन केंद्रों ने प्रशासन को सचमुच श्रमिकों के द्वार तक पहुँचाया है। निर्माण श्रमिकों के पंजीयन में स्व-घोषणा प्रमाण पत्र की व्यवस्था ने प्रक्रियाओं को सरल किया, जबकि मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना के माध्यम से सैकड़ों श्रमिक परिवारों को अपने पक्के आवास का सपना साकार करने में सहायता मिली। मिनीमाता महतारी जतन योजना एवं असंगठित कर्मकार महतारी जतन योजना के अंतर्गत लाखों महिला श्रमिकों को प्रसूति सहायता प्रदान की गई, जिससे मातृत्व सुरक्षा को नया संबल मिला।
श्रमिक परिवारों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए शिक्षा, पोषण और सामाजिक सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। श्रमिकों के बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग, छात्रवृत्ति, मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन तथा नोनी-बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना जैसी पहल ने शिक्षा के प्रति विश्वास को मजबूत किया है। शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना के अंतर्गत मात्र पाँच रुपये में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना सुशासन की मानवीय और संवेदनशील आत्मा को दर्शाता है।
केन्द्रीकृत डीबीटी प्रणाली के माध्यम से करोड़ों रुपये सीधे हितग्राहियों के बैंक खातों में हस्तांतरित किए गए, जिससे पारदर्शिता, विश्वास और समयबद्धता सुनिश्चित हुई। यह व्यवस्था भ्रष्टाचार-मुक्त और जवाबदेह शासन की मजबूत आधारशिला है।
सुशासन दिवस के अवसर पर श्रम विभाग की यह दो वर्षीय यात्रा इस बात का सशक्त प्रमाण है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार का सुशासन केवल नीतियों और घोषणाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि वह श्रमिकों के जीवन में वास्तविक, सकारात्मक और स्थायी परिवर्तन लाने का माध्यम बन चुका है।
श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन की सक्रिय भूमिका, संवेदनशील दृष्टिकोण और निरंतर निगरानी ने इन प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाया है। डिजिटल नवाचार, संवेदनशील कानून, सामाजिक सुरक्षा और मानवीय सोच के साथ श्रम विभाग ने छत्तीसगढ़ को एक श्रमिक-हितैषी, सशक्त और समावेशी राज्य बनने की दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान किया है।

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