मोर गांव-मोर पानी महाभियान से जल संरक्षण को मिली सफलता रायपुर । खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के विकासखंड छुईखदान के ग्राम गातापार के आश्रित...
मोर गांव-मोर पानी महाभियान से जल संरक्षण को मिली सफलता
गेबियन संरचनाएं पत्थरों व लोहे की जाली से बनी मजबूत जलदृअवरोधक तकनीक
हैं। समय के साथ इनके बीच मिट्टी जमने से संरचना और अधिक मजबूत हो गई तथा
पानी बहने की गति कम होकर नाले में कई महीनों तक जल संरक्षण होने लगा। पहले
जहां कुछ सप्ताह तक ही पानी टिकता था, वहीं अब दिसंबर माह तक भी जल उपलब्ध
है।
जीआईएस सर्वे आधारित योजना से मिला पुख्ता परिणाम
काम शुरू होने से पहले नाले और आसपास के कैचमेंट क्षेत्र का विस्तृत जीआईएस
सर्वे किया गया। कुल 118.12 हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रेनेज लाइन और सतही
प्रवाह का अध्ययन कर वैज्ञानिक आधार पर कार्य योजनाएं तैयार की गईं। अध्ययन
के आधार पर गाड़ाडीह में पांच और पाटा में दो गेबियन चेक डेम का निर्माण
स्वीकृत किया गया। इसके साथ ही नाले की गाद सफाई, जल भराव भूमि निकासी और
कच्ची नाली निर्माण से पानी का प्रवाह नियंत्रित और उपयोगी रूप में बदला
गया।
इस जलग्रहण पुनर्जीवन से नाले में जल संचयन बढ़ा और आसपास के खेत लंबे समय
तक नमी से भरपूर रहे। पहले जहां रबी बोना जोखिम भरा था, वहीं अब किसान खरीफ
के साथ दूसरी फसल भी लेकर लाभ कमा रहे हैं।
रोजगार सृजन और कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी
कुल 15.671 लाख रुपए की स्वीकृति वाली इस परियोजना पर 13.169 लाख रुपए व्यय
हुए और निर्माण के दौरान ग्रामीणों को 1229 मानव दिवस का रोजगार मिला।
इससे स्थानीय परिवारों की आय में तत्काल सुधार हुआ तथा किसानों को स्थायी
जल स्रोत मिलने से कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दिखी।
नाले के दोनों ओर लगभग 75 से 80 एकड़ भूमि अब सुरक्षित सिंचाई के साथ उपजाऊ
बन चुकी है। गाड़ाडीह और पाटा के किसान खरीफ और रबी दोनों मौसम में खेती कर
पा रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी और आर्थिक स्थिति पहले की तुलना में कहीं
अधिक मजबूत हुई है। पहले जहां बारिश का पानी बहकर व्यर्थ चला जाता था, आज
वही पानी गांव की मिट्टी को सींचते हुए किसानों की उम्मीद और समृद्धि का
आधार बन गया है। मोर गांवदृमोर पानी महाभियान ने जल संरक्षण के माध्यम से
ग्रामीण आजीविका में नई ऊर्जा और स्थिरता प्रदान की है।

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